जम्मू-कश्मीर में मोबाइल सेवा शुरू होने के दो दशक बाद उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के तीन दूरदराज के गांवों में मोबाइल टावर लगाए गए हैं, इससे लगभग 10 हजार स्थानीय लोगों को लाभ मिलने की उम्मीद है।
श्रीनगर से महज 100 से 160 किलोमीटर की दूरी पर नियंत्रण रेखा के नजदीक बसे तीन गांव माछिल, डूडी और पोशवारी हैं, जिन्हें 2000 में मोबाइल कनेक्टिविटी की अनुमति मिली थी, परंतु ये गांव पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा (एलओसी) के नजदीक हैं और अक्सर यहां सीमा पार से घुसपैठ के मामले सामने आते हैं। इसके कारण इस इलाके में मोबाइल सेवाएं नहीं मिल पा रही थीं।
कनेक्टिविटी के लिए मोबाइल टावर लगाने से पहले जिला प्रशासन को सेना और बहुत सारे संबंधित विभागों से अनुमति की जरूरत थी। ये तीनों गांव माछिल, डूडी और पॉश वारी एलओसी से सिर्फ आठ और 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। पिछले वर्ष उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने माछिल का दौरा किया था, उस समय स्थानीय लोगों की मांग पर तत्काल मोबाइल फोन टावरों की स्थापना के निर्देश दिए थे। इसके बाद उपायुक्त अंशुल गर्ग ने सभी विभागों के साथ क्लियरेंस पाने के लिए सक्रिय हो गए थे।
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मोबाइल टावर लगने से स्थानीय लोग काफी खुश हैं। डूडी गांव के पूर्व सरपंच, मोहम्मद जमाल शेख ने कहा, अब हम शायद बिना इलाज के नहीं मरेंगे। मोबाइल फोन पर बात करते हुए शेख ने याद किया कि मोबाइल फोन की सुविधा न होने का खामियाजा कई रोगियों को भुगतना पड़ा, क्योंकि चिकित्सा सुविधा प्राप्त करने के लिए उन्हें 20 किलोमीटर दूर माछिल पैदल जाना पड़ता था अथवा एसटीडी कॉल करने के लिए जेड मोड़ तक 15 किलोमीटर तक पैदल चलना पड़ता था। शेख गांव में एक व्यक्ति दवा की दुकान चलाता है जो कुपवाड़ा शहर से 70 किलोमीटर दूर स्थित है।
माछिल गांव के सरपंच हबीबुल्लाह ने भी इसी तरह की भावनाओं को प्रदर्शित करते हुए कहा कि आखिरकार ग्रामीणों को कुछ जानकारी लेने या मदद लेने के लिए मीलों पैदल नहीं चलना पड़ेगा। दिल्ली आईआईटी से स्नातक रहे उपायुक्त अंशुल गर्ग ने समाचार एजेंसी को बताया कि कुपवाड़ा के डिप्टी कमिश्नर के रूप में कार्यभार संभालने के बाद, मैंने हमेशा दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोगों के दर्द को कम करने की कोशिश की है, खासकर ऐसे गांवों में जो एलओसी के नजदीक स्थित हैं। इन गांवों में नेशनल ग्रिड से बिजली की आपूर्ति की जा रही है। मोबाइल टावर को भी उसी से जोड़ा गया है बैकअप के लिए डीजल जनरेटर सेट है जिसका ईंधन जिला मुख्यालय से भेजा जाता है।
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