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कोरोना टीकाकरण को लेकर भारत की आत्मनिर्भरता पूरी दुनिया देख रही है। सबसे कम कीमत पर टीका मिलने के बाद अब एम आरएनए तकनीक को लेकर भी दुनिया का सबसे खास टीका भारत में तैयार हो रहा है।
तापमान से लेकर कीमतों तक में यह टीका बाकी देशों की तुलना में सबसे अलग होगा। भारतीय वैज्ञानिकों की लंबी खोज और रात-दिन की मेहनत के बाद इस टीका को तैयार किया जा रहा है। अभी तक एमआरएनए तकनीक पर आधा?रित दो तरह के टीका दुनिया में मौजूद हैं।
अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर ने इसी तकनीक को लेकर टीका विकसित किया है जिसे -70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखना बेहद जरूरी है। इस टीका की प्रति डोज कीमत करीब 1431 रुपये है। ठीक इसी तरह का एक टीका मोर्डना कंपनी द्वारा विकसित किया है जिसे 2 से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जा सकता है लेकिन प्रति डोज इस टीका की कीमत करीब 2715 रुपये हो सकती है।
यानि एक व्यक्ति को कम से कम पांच हजार रुपये का खर्चा आ सकता है लेकिन भारत में जिस एमआरएनए तकनीक से टीका विकसित किया गया है वह 2 से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान में ही सुरक्षित रहेगा और इसकी कीमत भी करीब प्रति डोज 200 से 300 रुपये के आसपास हो सकती है। हालांकि कीमतों को लेकर यह अनुमान है।
स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि यह टीका इससे अधिक कीमत पर उपलब्ध नहीं होगा।
जानकारी के अनुसार जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स लिमिटेड और भारत सरकार के डीबीटी मंत्रालय के वैज्ञानिकों ने मिलकर इसे तैयार किया है। अभी इस टीका पर पहले चरण के तहत मानव परीक्षण चल रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि इस टीका पर दूसरे चरण का परीक्षण आगामी मार्च माह में किए जाने की उम्मीद है।
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल का कहना है कि एम आरएनए टीका अब तक कम तापमान को लेकर सामने आए हैं। ऐसे में भारत के लिए इतने कम तापमान पर भंडारण की सुविधा लेना काफी मुश्किल है लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों ने भारत की जरूरतों को समझते हुए एकदम अलग टीका तैयार किया है जिसे अधिक तापमान पर भी सुरक्षित रखा जा सकता है। यह एक बड़ी कामयाबी है।
डीबीटी की सचिव एवं बीआईआरएसी की अध्यक्ष डॉ. रेणु स्वरूप ने बताया कि यह टीका दुनिया में एकदम अलग है। भारत के लिए यह बड़ी सफलता है। डीबीटी द्वारा समर्थित यह एम-आरएनए प्लेटफार्म न्यूक्लिएक ऐसिड टीका एवं डिलीवरी सिस्टम में की गई प्रगतियों का उपयोग करता है। नैनोटेक्नोलॉजी पर आधारित यह टीका पशु परीक्षण में काफी प्रभावी रहा है।
औरों से अलग है एमआरएनए टीका
डीबीटी के ही एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि एमआरएनए टीका अलग है। इसमें कोरोना वायरस की आनुवंशिक सामग्री का एक खास हिस्सा होता है। इसे मैसेंजर आरएनए या एमआरएनए कहते हैं।
शरीर में दाखिल होने पर यह एमआरएनए हमारी ही कोशिकाओं को वायरस वाला वह प्रोटीन बनाने का निर्देश देने लगता है जिसकी मदद से असली कोरोना वायरस हमला बोलता है। इसके चलते शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगती है।
भारत में दोनों तरह के टीका हो रहे तैयार
वैज्ञानिकों का कहना है कि डीएनए और एमआरएनए तकनीक को लेकर टीका विज्ञान में शोध पर कार्य किया जाता है। कोरोना वायरस को लेकर भारत ऐसा देश है जहां दोनों तकनीक पर वैज्ञानिकों ने काम किया है और टीका तैयार किया है। जाइडस कैडिला का टीका डीएनए आधारित है। जबकि एम आरएनए टीका भी विकसित हो चुका है। दोनों ही टीका अभी मानव परीक्षण की स्थति में आ चुके हैं।
सार
- तापमान से लेकर कीमत तक बाकी देशों की तुलना में सबसे अलग
- फाइजर और मोर्डना के बाद तीसरा टीका भारत में हो रहा तैयार
विस्तार
कोरोना टीकाकरण को लेकर भारत की आत्मनिर्भरता पूरी दुनिया देख रही है। सबसे कम कीमत पर टीका मिलने के बाद अब एम आरएनए तकनीक को लेकर भी दुनिया का सबसे खास टीका भारत में तैयार हो रहा है।
तापमान से लेकर कीमतों तक में यह टीका बाकी देशों की तुलना में सबसे अलग होगा। भारतीय वैज्ञानिकों की लंबी खोज और रात-दिन की मेहनत के बाद इस टीका को तैयार किया जा रहा है। अभी तक एमआरएनए तकनीक पर आधा?रित दो तरह के टीका दुनिया में मौजूद हैं।
अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर ने इसी तकनीक को लेकर टीका विकसित किया है जिसे -70 डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखना बेहद जरूरी है। इस टीका की प्रति डोज कीमत करीब 1431 रुपये है। ठीक इसी तरह का एक टीका मोर्डना कंपनी द्वारा विकसित किया है जिसे 2 से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान पर रखा जा सकता है लेकिन प्रति डोज इस टीका की कीमत करीब 2715 रुपये हो सकती है।
यानि एक व्यक्ति को कम से कम पांच हजार रुपये का खर्चा आ सकता है लेकिन भारत में जिस एमआरएनए तकनीक से टीका विकसित किया गया है वह 2 से आठ डिग्री सेल्सियस तापमान में ही सुरक्षित रहेगा और इसकी कीमत भी करीब प्रति डोज 200 से 300 रुपये के आसपास हो सकती है। हालांकि कीमतों को लेकर यह अनुमान है।
स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि यह टीका इससे अधिक कीमत पर उपलब्ध नहीं होगा।
जानकारी के अनुसार जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स लिमिटेड और भारत सरकार के डीबीटी मंत्रालय के वैज्ञानिकों ने मिलकर इसे तैयार किया है। अभी इस टीका पर पहले चरण के तहत मानव परीक्षण चल रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया कि इस टीका पर दूसरे चरण का परीक्षण आगामी मार्च माह में किए जाने की उम्मीद है।
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल का कहना है कि एम आरएनए टीका अब तक कम तापमान को लेकर सामने आए हैं। ऐसे में भारत के लिए इतने कम तापमान पर भंडारण की सुविधा लेना काफी मुश्किल है लेकिन भारतीय वैज्ञानिकों ने भारत की जरूरतों को समझते हुए एकदम अलग टीका तैयार किया है जिसे अधिक तापमान पर भी सुरक्षित रखा जा सकता है। यह एक बड़ी कामयाबी है।
डीबीटी की सचिव एवं बीआईआरएसी की अध्यक्ष डॉ. रेणु स्वरूप ने बताया कि यह टीका दुनिया में एकदम अलग है। भारत के लिए यह बड़ी सफलता है। डीबीटी द्वारा समर्थित यह एम-आरएनए प्लेटफार्म न्यूक्लिएक ऐसिड टीका एवं डिलीवरी सिस्टम में की गई प्रगतियों का उपयोग करता है। नैनोटेक्नोलॉजी पर आधारित यह टीका पशु परीक्षण में काफी प्रभावी रहा है।
औरों से अलग है एमआरएनए टीका
डीबीटी के ही एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने बताया कि एमआरएनए टीका अलग है। इसमें कोरोना वायरस की आनुवंशिक सामग्री का एक खास हिस्सा होता है। इसे मैसेंजर आरएनए या एमआरएनए कहते हैं।
शरीर में दाखिल होने पर यह एमआरएनए हमारी ही कोशिकाओं को वायरस वाला वह प्रोटीन बनाने का निर्देश देने लगता है जिसकी मदद से असली कोरोना वायरस हमला बोलता है। इसके चलते शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने लगती है।
भारत में दोनों तरह के टीका हो रहे तैयार
वैज्ञानिकों का कहना है कि डीएनए और एमआरएनए तकनीक को लेकर टीका विज्ञान में शोध पर कार्य किया जाता है। कोरोना वायरस को लेकर भारत ऐसा देश है जहां दोनों तकनीक पर वैज्ञानिकों ने काम किया है और टीका तैयार किया है। जाइडस कैडिला का टीका डीएनए आधारित है। जबकि एम आरएनए टीका भी विकसित हो चुका है। दोनों ही टीका अभी मानव परीक्षण की स्थति में आ चुके हैं।